यह एक काफी पुरानी बहस है की सम्भोग के वक़्त स्त्री और पुरुष में से कौन  dịch - यह एक काफी पुरानी बहस है की सम्भोग के वक़्त स्त्री और पुरुष में से कौन  Việt làm thế nào để nói

यह एक काफी पुरानी बहस है की सम्भोग

यह एक काफी पुरानी बहस है की सम्भोग के वक़्त स्त्री और पुरुष में से कौन ज्यादा आनंद उठता है। इस बारे में सब के अलग-अलग मत हो सकते है। हिन्दुओं के प्रसिद्द धर्म ग्रन्थ “महाभारत” और ग्रीक (यूनान) के धर्म ग्रन्थ में इस प्रश्न का जवाब देती दो कथाएँ है और आश्चर्यजनक रूप से दोनों पौराणिक कथाओं का निष्कर्ष एक ही है। आज इस लेख में हम आपको वो दोनों कथाएं बताएंगे।


जब युधिष्ठिर ने पितामह भीष्म से किया यह प्रश्न
एक बार युधिष्ठिरअपने पितामह भीष्म के पास गए और बोले “हे तात श्री! क्या आप मेरी एक दुविधा सुलझाएंगे? क्या आप मुझे सच सच बताएंगे की स्त्री या पुरुष दोनो में से वो कौन है जो सम्भोग के समय ज़्यादा आनंद को प्राप्त करता है?” भीष्म बोले, “इस सम्बंध में तुम्हें भंगस्वाना और सकरा की कथा सुनाता हूँ, जिसमे तुम्हारे सवाल का जवाब छुपा है। ”

भंगस्वाना और सकरा की कथा
बहुत समय पहले भंगस्वाना नाम का एक राजा रहता था। वह न्यायप्रिय और बहुत यशस्वी था लेकिन उसके कोई पुत्र नहीं था। एक बालक की इच्छा में उस राजा ने एक अनुष्ठान किया जिसका नाम था ‘अग्नीष्टुता’. क्यूंकि उस हवन में केवल अग्नि भगवान का आदर हुआ था इसलिए देवराज इन्द्र काफी क्रोधित हो गए।
इंद्र अपने गुस्से को निकालने के लिए एक मौका ढूँडने लगे ताकि राजा भंगस्वाना से कोई गलती हो और वह उसे दंड दे सकें। पर भंगस्वाना इतना अच्छा राजा था की इन्द्र को कोई मौका नहीं मिल रहा था जिस कारण से इन्द्र का गुस्सा और बढ़ता जा रहा था था। एक दिन राजा शिकार पर निकला, इन्द्र ने सोचा ये सही समय है और अपने अपमान का बदला लेने का और इन्द्र ने राजा को सम्मोहित कर दिया।
राजा भंगस्वाना जंगल में इधर-उधर भटकने लगा. अपनी सम्मोहित हालत में वह सब सुध खो बैठा, ना उसे दिशाएं समझ आ रही थीं और ना ही अपने सैनिक नहीं दिख रहे थे. भूख-प्यास ने उसे और व्याकुल कर दिया था। अचानक उसे एक छोटी सी नदी दिखाई थी जो किसी जादू सी सुन्दर लग रही थी. राजा उस नदी की तरफ बढ़ा और पहले उसने अपने घोड़े को पानी पिलाया, फिर खुद पिया।
जैसे ही राजा ने नदी के अंदर प्रवेश की, पानी पिया, उसने देखा की वह बदल रहा है। धीरे-धीरे वह एक स्त्री में बदल गया। शर्म से बोझल वह राजा ज़ोर ज़ोर से विलाप करने लगा. उसे समझ नहीं आरहा था की ऐसा उसके साथ क्यूं हुआ।
राजा भंगस्वाना सोचने लगा, “हे प्रभु! इस अनर्थ के बाद में कैसे अपने राज्य वापस जाउं? मेरे अग्नीष्टुता’ अनुष्ठान से मेरे 100 पुत्र हुए हैं उन्हें मैं अब कैसे मिलूंगा, क्या कहूंगा? मेरी रानी, महारानी जो मेरी प्रतीक्षा कर रहीं हैं, उनसे कैसे मिलूंगा? मेरे पोरुष के साथ-साथ मेरा राज-पाट सब चला जाएगा, मेरी प्रजा का क्या होगा” इस तरह से विलाप करता राजा अपने राज्य वापस लौटा।
स्त्री के रूप में जब राजा वापस पँहुचा तो उसे देख कर सभी लोग अचंभित रह गए। राजा ने सभा बुलाई और अपनी रानियों, पुत्रों और मंत्रियों से कहा की अब मैं राज-पाट संभालने के लायक नहीं रहा हूँ, तुम सभी लोग सुख से यहाँ रहो और मैं जंगल में जाकर अपना बाकी का जीवन बीताउंगा.
ऐसा कह कर वह राजा जंगल की तरफ प्रस्थान कर गया। वहां जाकर वह स्त्री रूप में एक तपस्वी के आश्रम में रहने लगी जिनसे उसने कई पुत्रों को जन्म दिया। अपने उन पुत्रों को वह अपने पुराने राज्य ले गयी और अपने पुराने बच्चो से बोली, “तुम मेरे पुत्र हो जब में एक पुरुष था, ये मेरे पुत्र हैं जब में एक स्त्री हूँ। मेरे राज्य को मिल कर, भाइयों की तरह संभालो।” सभी भाई मिलकर रहने लगे।
सब को सुख से जीवन व्यतीति करता देख, देवराज इन्द्र और ज़्यादा क्रोधित हो जाए और उनमें बदले की भावना फिर जागने लगी। इन्द्र सोचने लगा की ऐसा लगता है की राजा को स्त्री में बदल कर मैने उसके साथ बुरे की जगह अच्छा कर दिया है। ऐसा कह कर इन्द्र ने एक ब्राह्मण का रूप धारा और पहुँच गया राजा भंगस्वाना के राज्य में। वहां जाकर उसने सभी राजकुमारों के कान भरने शुरू कर दिए।
इंद्र के भड़काने की वजह से सभी भाई आपस में लड़ पड़े और एक दूसरे को मार डाला। जैसे ही भंगस्वाना को इस बात का पता चला वह शोकाकुल हो गया। ब्राह्मण के रूप में इन्द्र राजा के पास पहुंचा और पूछा की वह क्यूँ रो रही है। भंगस्वाना ने रोते रोते पूरी घटना इन्द्र को बताई तो इन्द्र ने अपना असली रूप दिखा कर राजा को उसकी गलती के बारे में बताया।
इंद्र ने कहा, “क्योंकि तुमने सिर्फ अग्नि को पूजा और मेरा अनादर किया इसलिए मैने तुम्हारे साथ यह खेल रचा।” यह सुनते ही भंगस्वाना इन्द्र के पैरों में गिर गया और अपने अनजाने में किया अपराध के लिए क्षमा मांगी। राजा की ऐसी दयनीय दशा देख कर इन्द्र को दया आ गई. इन्द्र ने राजा को माफ करते हुए अपने पुत्रों को जीवित करवाने का वरदान दिया।
इंद्र बोले, “हे स्त्री रूपी राजन, अपने बच्चों में से किन्ही एक को जीवित कर लो” भंगस्वाना ने इन्द्र से कहा अगर ऐसी ही बात है तो मेरे उन पुत्रों को जीवित कर दो जिन्हे मैने स्त्री की तरह पैदा किया है। हैरान होते हुए इन्द्र ने इसका कारण पूछा तो राजा ने जवाब दिया, “हे इन्द्र! एक स्त्री का प्रेम, एक पुरुष के प्रेम से बहुत अधिक होता है इसीलिए मैं अपनी कोख से जन्मे बालकों का जीवन-दान मांगती हूँ।”
भीष्म ने इस कथा को आगे बढाते हुए युधिष्ठिर को कहा की इन्द्र यह सब सुन कर प्रसन्न हो गए और उन्होने राजा के सभी पुत्रों को जीवित कर दिया. उसके बाद इन्द्र ने राजा को दुबारा पुरुष रूप देने की बात की. इन्द्र बोले, “तुमसे खुश होकर हे भंगस्वाना मैं तुम्हे वापस पुरुष बनाना चाहता हूँ” पर राजा ने साफ मना कर दिया।
स्त्री रुपी भंगस्वाना बोला, “हे देवराज इन्द्र, मैं स्त्री रूप में ही खुश हूँ और स्त्री ही रहना चाहता हूँ” यह सुनकर इन्द्र उत्सुक होगए और पूछ बैठे की ऐसा क्यूँ राजन, क्या तुम वापस पुरुष बनकर अपना राज-पाट नहीं संभालना चाहते?” भंगस्वाना बोला, “क्यूंकि सम्भोग के समय स्त्री को पुरुष से कई गुना ज़्यादा आनंद, तृप्ति और
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यह एक काफी पुरानी बहस है की सम्भोग के वक़्त स्त्री और पुरुष में से कौन ज्यादा आनंद उठता है। इस बारे में सब के अलग अलग मत हो सकते है। हिन्दुओं के प्रसिद्द ĐỨC ग्रन्थ "महाभारत" और ग्रीक (यूनान) के ĐỨC ग्रन्थ में इस प्रश्न का जवाब देती दो कथाएँ है और आश्चर्यजनक रूप से दोनों पौराणिक कथाओं का निष्कर्ष एक ही है। आज इस लेख में हम आपको वो दोनों कथाएं बताएंगे। जब युधिष्ठिर ने पितामह भीष्म से किया यह प्रश्नएक बार युधिष्ठिरअपने पितामह भीष्म के पास गए और बोले "हे तात श्री! क्या आप मेरी एक दुविधा सुलझाएंगे? बोले भीष्म क्या आप मुझे सच सच बताएंगे की स्त्री या पुरुष दोनो में से वो कौन है जो सम्भोग के समय ज़्यादा आनंद को प्राप्त करता है?"," इस सम्बंध में तुम्हें भंगस्वाना और सकरा की कथा सुनाता हूँ, जिसमे तुम्हारे सवाल का जवाब छुपा है। ” भंगस्वाना और सकरा की कथाबहुत समय पहले भंगस्वाना नाम का एक राजा रहता था। वह न्यायप्रिय और बहुत यशस्वी था लेकिन उसके कोई पुत्र नहीं था। एक बालक की इच्छा में उस राजा ने एक अनुष्ठान किया जिसका नाम था ‘अग्नीष्टुता’. क्यूंकि उस हवन में केवल अग्नि भगवान का आदर हुआ था इसलिए देवराज इन्द्र काफी क्रोधित हो गए।इंद्र अपने गुस्से को निकालने के लिए एक मौका ढूँडने लगे ताकि राजा भंगस्वाना से कोई गलती हो और वह उसे दंड दे सकें। पर भंगस्वाना इतना अच्छा राजा था की इन्द्र को कोई मौका नहीं मिल रहा था जिस कारण से इन्द्र का गुस्सा और बढ़ता जा रहा था था। एक दिन राजा शिकार पर निकला, इन्द्र ने सोचा ये सही समय है और अपने अपमान का बदला लेने का और इन्द्र ने राजा को सम्मोहित कर दिया।राजा भंगस्वाना जंगल में इधर-उधर भटकने लगा. अपनी सम्मोहित हालत में वह सब सुध खो बैठा, ना उसे दिशाएं समझ आ रही थीं और ना ही अपने सैनिक नहीं दिख रहे थे. भूख-प्यास ने उसे और व्याकुल कर दिया था। अचानक उसे एक छोटी सी नदी दिखाई थी जो किसी जादू सी सुन्दर लग रही थी. राजा उस नदी की तरफ बढ़ा और पहले उसने अपने घोड़े को पानी पिलाया, फिर खुद पिया।जैसे ही राजा ने नदी के अंदर प्रवेश की, पानी पिया, उसने देखा की वह बदल रहा है। धीरे-धीरे वह एक स्त्री में बदल गया। शर्म से बोझल वह राजा ज़ोर ज़ोर से विलाप करने लगा. उसे समझ नहीं आरहा था की ऐसा उसके साथ क्यूं हुआ।THỊ भंगस्वाना सोचने लगा, "हे प्रभु! इस अनर्थ के बाद में कैसे अपने राज्य वापस जाउं? मेरे अग्नीष्टुता' अनुष्ठान से मेरे 100 पुत्र हुए हैं उन्हें मैं अब कैसे मिलूंगा, क्या कहूंगा? मेरी रानी, महारानी जो मेरी प्रतीक्षा कर रहीं हैं उनसे कैसे मिलूंगा? मेरे पोरुष के साथ साथ मेरा राज-पाट सब चला जाएगा, मेरी प्रजा का क्या होगा"इस तरह से विलाप करता THỊ अपने राज्य वापस लौटा।स्त्री के रूप में जब THỊ वापस पँहुचा तो उसे देख कर सभी लोग अचंभित रह गए। THỊ ने सभा बुलाई और अपनी रानियों, पुत्रों और मंत्रियों से कहा की अब मैं राज-पाट संभालने के लायक नहीं रहा हूँ तुम सभी लोग सुख से यहाँ रहो और मैं जंगल में जाकर अपना बाकी का जीवन बीताउंगा.ऐसा कह कर वह THỊ जंगल की तरफ प्रस्थान कर गया। वहां जाकर वह स्त्री रूप में एक तपस्वी के आश्रम में रहने लगी जिनसे उसने कई पुत्रों को जन्म दिया। अपने उन पुत्रों को वह अपने पुराने राज्य ले गयी और अपने पुराने बच्चो से बोली, "तुम मेरे पुत्र हो जब में एक पुरुष था, ये मेरे पुत्र हैं जब में एक स्त्री हूँ। मेरे राज्य को मिल कर, भाइयों की तरह संभालो। "सभी भाई मिलकर रहने लगे।सब को सुख से जीवन व्यतीति करता देख, देवराज इन्द्र और ज़्यादा क्रोधित हो जाए और उनमें बदले की भावना फिर जागने लगी। इन्द्र सोचने लगा की ऐसा लगता है की THỊ को स्त्री में बदल कर मैने उसके साथ बुरे की जगह अच्छा कर दिया है। ऐसा कह कर इन्द्र ने एक ब्राह्मण का रूप धारा और पहुँच गया THỊ भंगस्वाना के राज्य में। वहां जाकर उसने सभी राजकुमारों के कान भरने शुरू कर दिए।इंद्र के भड़काने की वजह से सभी भाई आपस में लड़ पड़े और एक दूसरे को मार डाला। जैसे ही भंगस्वाना को इस बात का पता चला वह शोकाकुल हो गया। ब्राह्मण के रूप में इन्द्र THỊ के पास पहुंचा और पूछा की वह क्यूँ रो रही है। भंगस्वाना ने रोते रोते पूरी घटना इन्द्र को बताई तो इन्द्र ने अपना असली रूप दिखा कर THỊ को उसकी गलती के बारे में बताया।इंद्र ने कहा, “क्योंकि तुमने सिर्फ अग्नि को पूजा और मेरा अनादर किया इसलिए मैने तुम्हारे साथ यह खेल रचा।” यह सुनते ही भंगस्वाना इन्द्र के पैरों में गिर गया और अपने अनजाने में किया अपराध के लिए क्षमा मांगी। राजा की ऐसी दयनीय दशा देख कर इन्द्र को दया आ गई. इन्द्र ने राजा को माफ करते हुए अपने पुत्रों को जीवित करवाने का वरदान दिया।इंद्र बोले, “हे स्त्री रूपी राजन, अपने बच्चों में से किन्ही एक को जीवित कर लो” भंगस्वाना ने इन्द्र से कहा अगर ऐसी ही बात है तो मेरे उन पुत्रों को जीवित कर दो जिन्हे मैने स्त्री की तरह पैदा किया है। हैरान होते हुए इन्द्र ने इसका कारण पूछा तो राजा ने जवाब दिया, “हे इन्द्र! एक स्त्री का प्रेम, एक पुरुष के प्रेम से बहुत अधिक होता है इसीलिए मैं अपनी कोख से जन्मे बालकों का जीवन-दान मांगती हूँ।”
भीष्म ने इस कथा को आगे बढाते हुए युधिष्ठिर को कहा की इन्द्र यह सब सुन कर प्रसन्न हो गए और उन्होने राजा के सभी पुत्रों को जीवित कर दिया. उसके बाद इन्द्र ने राजा को दुबारा पुरुष रूप देने की बात की. इन्द्र बोले, “तुमसे खुश होकर हे भंगस्वाना मैं तुम्हे वापस पुरुष बनाना चाहता हूँ” पर राजा ने साफ मना कर दिया।
स्त्री रुपी भंगस्वाना बोला, “हे देवराज इन्द्र, मैं स्त्री रूप में ही खुश हूँ और स्त्री ही रहना चाहता हूँ” यह सुनकर इन्द्र उत्सुक होगए और पूछ बैठे की ऐसा क्यूँ राजन, क्या तुम वापस पुरुष बनकर अपना राज-पाट नहीं संभालना चाहते?” भंगस्वाना बोला, “क्यूंकि सम्भोग के समय स्त्री को पुरुष से कई गुना ज़्यादा आनंद, तृप्ति और
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Choose one काफी पुरानी यह बहस है की सम्भोग bên ngoài वक़्त स्त्री और पुरुष में से कौन ज्यादा आनंद उठता है . इस बारे में सब के अलग-अलग मत हो सकते है. हिन्दुओं के प्रसिद्द धर्म ग्रन्थ "महाभारत" और ग्रीक (यूनान) धर्म ग्रन्थ में bên ngoài इस प्रश्न का जवाब देती दो कथाएँ है और आश्चर्यजनक रूप से दोनों पौराणिक कथाओं का निष्कर्ष Choose one ही है . इस लेख में आज हम आपको वो दोनों कथाएं बताएंगे . जब युधिष्ठिर पितामह भीष्म ने यह प्रश्न किया से Choose one bên ngoài बार युधिष्ठिरअपने पितामह भीष्म पास गए और बोले "हे तात श्री! क्या आप मेरी एक दुविधा सुलझाएंगे? क्या आप मुझे सच सच बताएंगे की स्त्री या पुरुष दोनो में से वो कौन है जो सम्भोग bên ngoài trình thời gian ज़्यादा आनंद को प्राप्त करता है ? "भीष्म बोले," इस सम्बंध में तुम्हें भंगस्वाना और सकरा की कथा सुनाता हूँ , जिसमे तुम्हारे सवाल का जवाब छुपा है. " भंगस्वाना सकरा की और कथा बहुत trình thời gian पहले भंगस्वाना रहता नाम का Choose one राजा था. न्यायप्रिय और बहुत वह यशस्वी था लेकिन उसके कोई पुत्र नहीं था . बालक की इच्छा Choose one में उस राजा ने Choose one अनुष्ठान किया जिसका नाम था 'अग्नीष्टुता'. उस हवन में क्यूंकि केवल अग्नि भगवान का आदर हुआ था इसलिए देवराज इन्द्र काफी क्रोधित हो गए . इंद्र अपने गुस्से को निकालने bên ngoài लिए Choose one मौका ढूँडने लगे ताकि राजा भंगस्वाना से कोई गलती हो और वह उसे दंड दे सकें . भंगस्वाना इतना अच्छा पर राजा था की इन्द्र को कोई मौका नहीं मिल रहा था return कारण से इन्द्र का गुस्सा और बढ़ता जा रहा था था . एक दिन राजा शिकार पर निकला, ने सोचा ये इन्द्र सही trình thời gian है और अपने अपमान का बदला लेने का और इन्द्र ने राजा को सम्मोहित कर दिया . राजा भंगस्वाना जंगल में इधर-उधर भटकने लगा. सम्मोहित हालत में Người Make वह सब सुध खो बैठा , उसे दिशाएं समझ ना आ रही थीं और ना ही अपने सैनिक नहीं दिख रहे थे . भूख-प्यास ने उसे और व्याकुल कर दिया था. उसे Choose one छोटी अचानक सी नदी दिखाई थी जो किसी जादू सी सुन्दर लग रही थी . उस नदी की राजा तरफ बढ़ा और पहले उसने अपने घोड़े को पानी पिलाया , फिर खुद पिया. जैसे ही राजा ने नदी bên ngoài अंदर प्रवेश की , पानी पिया, उसने देखा की वह बदल रहा है. धीरे-धीरे वह एक स्त्री में बदल गया. से बोझल वह शर्म राजा ज़ोर ज़ोर से विलाप करने लगा . समझ नहीं आरहा उसे था की ऐसा उसके साथ क्यूं हुआ . राजा भंगस्वाना सोचने लगा, "हे प्रभु! अनर्थ bên ngoài बाद इस में कैसे अपने राज्य वापस जाउं ? मेरे अग्नीष्टुता 'अनुष्ठान से मेरे 100 पुत्र हुए हैं उन्हें मैं अब कैसे मिलूंगा, क्या कहूंगा? मेरी रानी, ​​महारानी जो मेरी प्रतीक्षा कर रहीं हैं, उनसे कैसे मिलूंगा? मेरे पोरुष के साथ-साथ मेरा राज-पाट सब चला जाएगा, मेरी प्रजा का क्या होगा "trip से विलाप इस करता राजा अपने राज्य वापस लौटा . स्त्री bên ngoài रूप में जब राजा वापस पँहुचा तो उसे देख कर सभी लोग अचंभित रह गए . राजा ने सभा बुलाई और अपनी रानियों, और मंत्रियों से पुत्रों कहा की अब मैं राज -पाट संभालने bên ngoài लायक नहीं रहा हूँ, सभी लोग सुख तुम से यहाँ रहो और मैं जंगल में जाकर अपना बाकी का जीवन बीताउंगा . ऐसा कह कर वह राजा जंगल की तरफ प्रस्थान कर गया. जाकर वह स्त्री वहां रूप में Choose one तपस्वी bên ngoài आश्रम में trọ trên लगी जिनसे उसने कई पुत्रों को जन्म दिया . उन पुत्रों को अपने वह अपने पुराने राज्य ले गयी और अपने पुराने बच्चो से बोली , "मेरे पुत्र हो तुम जब में Choose one पुरुष था , मेरे पुत्र हैं ये जब में Choose one स्त्री हूँ . मेरे राज्य को मिल कर, भाइयों की तरह संभालो. "सभी भाई मिलकर रहने लगे. सब को सुख से जीवन व्यतीति करता देख, इन्द्र और ज़्यादा देवराज क्रोधित हो जाए और उनमें बदले की भावना फिर जागने लगी . सोचने लगा की इन्द्र ऐसा लगता है की राजा को स्त्री में बदल कर मैने उसके साथ बुरे की जगह अच्छा कर दिया है . कह कर इन्द्र ऐसा ने Choose one ब्राह्मण का रूप धारा और पहुँच गया राजा भंगस्वाना bên ngoài राज्य में . जाकर उसने सभी वहां राजकुमारों bên ngoài कान भरने शुरू कर दिए . इंद्र bên ngoài भड़काने की वजह से सभी भाई आपस में लड़ पड़े और Choose one दूसरे को मार डाला . ही भंगस्वाना को जैसे इस बात का पता चला वह शोकाकुल हो गया . Bên ngoài रूप में ब्राह्मण इन्द्र राजा bên ngoài पास पहुंचा और पूछा की वह क्यूँ रो रही है . भंगस्वाना ने रोते रोते पूरी घटना इन्द्र को बताई तो इन्द्र ने अपना असली रूप दिखा कर राजा को उसकी गलती bên ngoài बारे में बताया . इंद्र ने कहा, "क्योंकि तुमने सिर्फ अग्नि को पूजा और मेरा अनादर किया इसलिए मैने तुम्हारे साथ यह खेल रचा ." सुनते ही भंगस्वाना यह इन्द्र bên ngoài पैरों में गिर गया और अपने अनजाने में किया अपराध bên ngoài लिए क्षमा मांगी . की ऐसी दयनीय राजा दशा देख कर इन्द्र को दया आ गई . इन्द्र ने राजा को माफ करते हुए अपने पुत्रों को जीवित करवाने का वरदान दिया . इंद्र बोले, "हे स्त्री रूपी राजन, अपने बच्चों में से किन्ही Choose one को जीवित कर लो " भंगस्वाना ने इन्द्र से कहा अगर ऐसी ही बात है तो मेरे उन पुत्रों जीवित कर दो को जिन्हे मैने स्त्री की trip पैदा किया है . होते हुए इन्द्र हैरान ने इसका कारण पूछा तो राजा ने जवाब दिया , "हे इन्द्र! एक स्त्री का प्रेम, पुरुष bên ngoài प्रेम Choose one से बहुत अधिक होता है इसीलिए मैं Người Make कोख से जन्मे बालकों का जीवन -दान मांगती हूँ. " भीष्म ने इस कथा को आगे बढाते हुए युधिष्ठिर को कहा की इन्द्र यह सब सुन कर प्रसन्न हो गए और राजा bên ngoài सभी उन्होने पुत्रों को जीवित कर दिया . बाद इन्द्र ने उसके राजा को दुबारा पुरुष रूप देने की बात की . इन्द्र बोले, "तुमसे खुश होकर हे भंगस्वाना मैं तुम्हे वापस पुरुष बनाना चाहता हूँ " पर राजा ने साफ मना कर दिया. स्त्री रुपी भंगस्वाना बोला, "हे देवराज इन्द्र, मैं स्त्री रूप में ही खुश हूँ और स्त्री ही रहना चाहता हूँ " यह इन्द्र उत्सुक होगए सुनकर और पूछ बैठे की ऐसा क्यूँ राजन , क्या तुम वापस पुरुष बनकर अपना राज-पाट नहीं संभालना चाहते? "भंगस्वाना बोला," bên ngoài trình thời gian सम्भोग क्यूंकि स्त्री को पुरुष से कई गुना ज़्यादा आनंद , तृप्ति और


















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